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मिशन 2024 : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पूरी ताकत झोंकने में जुटी भाजपा

अश्विनी वैष्णव टटोल रहे पिछली लोकसभा में गवाईं 14 सीटों पर मतदाताओं की नब्ज

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इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। मिशन 2024 को लेकर कांग्रेस की क्या तैयारियां हैं, इस बारे में तो कहा नहीं जा सकता है। किन्तु सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियां आरंभ कर दी हैं।

दरअसल, अगले लोकसभा चुनावों में अब महज एक साल अर्थात बारह माह का ही समय रह गया है। अगले साल अप्रैल में कभी भी आचार संहित लग सकती है, इस लिहाज से भाजपा के द्वारा अंदर ही अंदर तैयारियों को अंतिम रूप देना आरंभ कर दिया गया है।

Mission 2024 BJP trying to exert its full power in western Uttar Pradesh 1भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जुगल जोड़ी की सोशल इंजीनियरिंग इतनी तगड़ी है कि वोटर्स को कैसे साधा और लुभाया जाए, यह बात वे बेहतर तरीके से जानते हैं।

इतना ही नहीं अपनी रणनीतियों को किस तरह अमली जामा पहनाना है, यह बात भी वे भली भांति ही जानते हैं। अब तक सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश पर अब भाजपा की नजरें टिकती दिख रहीं हैं।

सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में खतौली विधान सभा के उप चुनावों में चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी के द्वारा चौधरी चरण सिंह के फार्मूले मुस्लिम, जाट, गुर्जर (मजग) को अपनाकर यह सीट अपनी झोली में डाल ली।

इस सीट से राष्ट्रीय लोकदल के मदन भैया को 54.04 फीसदी तो भाजपा की राजकुमारी को 41.72 फीसदी वोट मिले थे। इस तरह जयंत चौधरी ने अपनी उपस्थित दर्ज करा दी थी।

इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश में जिला पंचायतों के चुनावों में जाट और गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में भाजपा का कमल जरूर खिला है किन्तु सबसे ज्यादा जाट ही अध्यक्ष पद पर काबिज हुए हैं।

इस तरह उत्तर प्रदेश में 80 फीसदी से ज्यादा जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष का ताज जाटों के सर पर ही आया है। यह स्थिति उन क्षेत्रों में भी बनी है, जहां गुर्जर बाहुल्य में हैं, इससे संदेश बहुत अच्छा जाता नहीं दिख रहा है।

सूत्रों की मानें तो 2019 में उत्तर प्रदेश में जिन 14 सीटों पर भाजपा ने मुंह की खाई थी, उन सीटों पर मतदाताओं की नब्ज टटोलने के लिए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की अध्यक्षता में एक दल का गठन किया गया है।

यह दल सहारनपुर, नगीना, बिजनोर आदि क्षेत्रों में पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा की हार के कारणों को खोज रहा है। उत्तर प्रदेश के वर्तमान हालातों को देखकर भाजपा चाह रही है कि जयंत चौधरी भाजपा के साथ गठबंधन कर लें, पर यह मुश्किल ही प्रतीत हो रहा है।

कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा जनाधार बनाने की जुगत में दिखाई दे रही है तो 2016 में जिन 14 सीटों पर भाजपा को पराजय का मुंह देखना पड़ा था, उन सीटों पर भाजपा अपना ध्यान केंद्रित करती दिख रही है। (साई फीचर्स)

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