Monday, April 29, 2024

सिर्फ 48 घंटे में गवाही, बहस और सजा भी, मामला 4 साल की बच्ची संग कुकर्म का

"बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी और पर्यवेक्षण गृह के काउंसलर की रिपोर्ट के अनुसार किशोर यौन कामंधता जैसी मनोवृत्ति से ग्रस्त है। मुख्यधारा में आने के लिए इसकी समय-समय पर काउंसिलिंग जरूरी है। जज श्री मिश्र ने अपने फैसले में कहा कि अभी इसे छोड़ना न तो समाज और न ही किशोर के सर्वोत्तम हित में होगा....

पटना (इंडिया न्यूज रिपोर्टर)। नालंदा जिला किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेन्द्र मिश्र ने चार साल की मासूम के साथ दुष्कर्म के दोषी किशोर को एक ही दिन में गवाही और बहस पूरी कर सजा भी सुना दी।

26 नवम्बर को दिन के 11 बजे से उन्होंने किशोर और गवाहों का बयान दर्ज कर सारी न्यायिक प्रक्रिया पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया। 27 नवम्बर की सुबह 10.30 बजे उन्होंने सजा सुना दी।

आरोपी किशोर को धारा 377 के तहत तीन वर्ष और पाक्सो एक्ट के तहत तीन वर्ष की सजा सुनायी गयी है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। किशोर द्वारा न्यायिक हिरासत में बितायी गयी अवधि सुनायी गयी सजा में समायोजित कर दी जायेगी।

केस की आईओ माया कुमारी यादव के अनुसार इस तरह का घृणित काम करने वाले दोषी को कोर्ट द्वारा त्वरित सुनवाई कर सजा देने से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाएगा।

कम समय में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने और आरोपी को सजा मिलने से अनुसंधानकर्ता का भी उत्साह बढ़ता है। यह केस चुनौतीपूर्ण था। हमने पूरी संजीदगी से अनुसंधान किया।

जज मानवेन्द्र मिश्र ने अपने फैसले में इस तरह के जघन्य कृत्य पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जिस देश में नारी की पूजा होती है उस देश में ऐसी पशु प्रवृत्ति वह भी किशोर द्वारा समाज के लिए चिंता का विषय है। ऐसी प्रवृत्ति को रोकने और महिलाओं के प्रति सम्मान विकसित करने के लिए समाज में जागरूकता लानी होगी।

मामला नालंदा थाना क्षेत्र के एक गांव का है। आरोपी किशोर बच्ची को इमली व टॉफी देने का लालच देकर अपने घर की छत पर बने कमरे में ले गया था और उसके साथ अप्राकृतिक यौनाचार किया था।

बच्ची के रोने की आवाज सुनकर मां आरोपी के घर गई। जहां उसने बच्ची को कमरे में बंद कर रखा था। इसके बाद बच्ची की मां ने केस दर्ज करवाया था।

जेजेबी जज ने माना है कि जिस तरह से किशोर ने योजनाबद्ध तरीके से इस घटना को अंजाम दिया और मौके पर से फरार हो गया। वह उसे मानसिक और शारीरिक रूप से अपराध करने में सक्षम साबित करता है।

बचाव पक्ष के वकील ने किशोर की उम्र व पहला अपराध होने का दावा कर कम से कम सजा की अपील की थी। जिसे जेजेबी ने नहीं माना व जेजेबी एक्ट के तहत दी जा सकने वाली अधिकतम सजा सुनायी।

विशेष गृह में किशोर के आवासन के दौरान वहां के अधीक्षक को किशोर की नियमित काउंसिलिंग और पढ़ाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

साथ ही किशोर के आचरण व व्यवहार में हो रहे परिवर्तन से प्रत्येक छह माह पर जेजेबी को अवगत कराने को भी कहा गया है। पीड़िता को मुआवजा के लिए पॉक्सो स्पेशल जज को भी निर्णय की प्रति भेजी गयी है।

घटना के समय किशोर की आयु करीब 14 वर्ष थी। उसने 8 अक्टूबर 2021 को इस घटना को अंजाम दिया था। पीड़िता की मां ने थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। अभियोजन की ओर से सहायक अभियोजन पदाधिकारी जयप्रकाश ने कुल पांच गवाहों का साक्ष्य परीक्षण किया।

गवाहों के अलावा इस मामले में एफएसएल रिपोर्ट भी आरोपी किशोर को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसी जांच ने सजा के आधार को पुख्ता किया।

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