नई दिल्ली (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। अडानी को लेकर अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जब से आया है तब से भारत में भूचाल मचा हुआ है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर शेयर में हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में तेजी से गिरावट दर्ज की गई।
उधर, अडानी समूह ने रिपोर्ट के बाद 413 पन्नों में अपनी प्रतिक्रिया दी। अब हिंडनबर्ग ने अडानी के जवाब के बाद एक बार फिर पलटवार किया है। हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट पर अडानी समूह ने कई सवाल उठाए हैं।
वहीं संसद के बजट सत्र में भी दो दिन से इस मामले पर हंगामा मचा हुआ है। गुरुवार को दिन भर संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी वहीं आज हंगामा बढ़ते देख 2 बजे तक कार्यवाही स्थगित कर दिया गया।
पहले भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर होता रहा विवाद, क्या है रिसर्च? बता दें कि पहले भी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर विवाद होता रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की है।
हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करती है। इसे कॉरपोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है।
इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो 1937 में हुई थी, जब एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें 35 लोग मारे गए थे।
कंपनी यह पता लगाती है कि क्या शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है? क्या कोई कंपनी अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो खुद को बड़ा नहीं दिखा रही है? क्या कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही?
हालिया रिपोर्ट में क्या है? 25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं।
कई देशों में मुखौटा कंपनियां होने का आरोपः रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक टैक्स हेवन देशों में अडानी परिवार की कई मुखौटा कंपनियों का विवरण है।
आरोपों के मुताबिक, इनका उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग के लिए किया गया। इन मुखौटा कंपनियों के जरिए फंड की हेराफेरी भी की गई। कंपनी ने कहा है कि इस शोध रिपोर्ट के लिए अडानी समूह के पूर्व अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों से बात की गई। हजारों दस्तावेजों की समीक्षा हुई और आधा दर्जन देशों में दौरा किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया। रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग ने कहा कि यदि गौतम अडानी वास्तव में पारदर्शिता को अपनाते हैं, जैसा कि वे दावा करते हैं, तो उन्हें उत्तर देना चाहिए।
अडानी समूह का इस रिपोर्ट पर क्या रुख है? रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी। अडानी समूह ने इसे निराधार और बदनाम करने वाला बताया।
समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिंदर सिंह ने कहा, रिपोर्ट में इस्तेमाल तथ्यात्मक आंकड़े प्राप्त करने के लिए समूह से कोई संपर्क नहीं किया गया। यह रिपोर्ट चुनिंदा गलत व बासी सूचनाओं, निराधार और बदनाम करने की मंशा से किया गया एक दुर्भावनापूर्ण संयोजन है।
अडानी समूह के लीगल हेड जतिन जलुंढ़वाला ने कहा कि शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग को अडानी समूह के शेयरों में आने वाली गिरावट से फायदा होगा। अडानी समूह ने कहा कि हिंडनबर्ग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
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