INR. नये भू-स्थानिक आंकडों और मानचित्र नियमों-जियो स्पैटियल दिशा-निर्देशों का जब सरलीकरण किया गया मानों अर्थव्यवस्था की त्वरित गति के लिए नए द्वार खुल गए हों। सोमवार को जब इन दिशा-निर्देशों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने जारी किया तो देश भर में इसकी चर्चा शुरू हो गई।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ये दिशा-निर्देश जारी होना,आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है। इस फैसले से डिजिटल इंडिया मिशन को बढ़ावा मिलेगा। यह सुधार देश के स्टार्ट अप्स, निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र और अनुसंधान संस्थानों के लिए नवाचार तथा श्रेष्ठ समाधान उपलब्ध कराने के अवसर खोलेंगे। इससे रोजगार मिलेंगे और देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा भी मिलेगा।”
जाने अब और तब मे क्या अंतर हुआ
अब तक : मैपिंग एक सरकारी संरक्षण था, जिसे इसके सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा नियंत्रित किया जाता था। इसके अलावा, व्यक्तियों और कंपनियों को भू-स्थानिक सूचना विनियमन अधिनियम, 2016 के तहत मानचित्रण डेटा के उपयोग के लिए अनुमोदन की आवश्यकता है।
आगे : अब और फर्म अब भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके पानी के नीचे सहित भारतीय क्षेत्र के नक्शे में डेटा सहित, संग्रह, उत्पन्न, प्रसार, स्टोर, शेयर, वितरण और निर्माण कर सकते हैं। लेकिन मानचित्रण के लिए एक मूल्य है – क्षैतिज या प्लेनिमेट्री के लिए 1 मीटर की गोलाकार सटीकता और ऊर्ध्वाधर या ऊंचाई के लिए 3 मीटर – और संवेदनशील और प्रतिबंधित क्षेत्र और प्रतिबंधित क्षेत्रों को विनियमित किया जाएगा।
प्रमुख क्षेत्र जिन्हें मिलेगा लाभ: कृषि, वित्त, निर्माण, खनन और स्थानीय उद्यम, किसान, छोटे व्यवसाय, निगम समान। विशेष रूप से डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटीज, ईकामर्स, ऑटोनॉमस ड्रोन, डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स और अर्बन ट्रांसपोर्ट जैसी जीवंत तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने कहा कि भारत के अंदर मैपिंग और सर्वे बहुत सालों से चल रही है, लेकिन उसमें बहुत सारे रेस्ट्रिक्शन थे। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, सेवाओं, प्लानिंग, गुड गवर्नेंस आदि में सर्वेइंग और मैपिंग की आवश्यका होती है।
आशुतोष शर्मा ने कहा कि कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि में एक्युरेट मैपिंग जरूरी होती है। और आने वाले समय में इस फैसले से इन दोनों के साथ-साथ कई और सेक्टर को फायदा होगा।
पूर्व सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. पृथ्वीश नाग का कहना है कि यह सरकार का बहुत महत्वपूर्ण कदम है। अब रियल टाइम मैपिंग देश की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ गई है। पहले जो गांव में बैंक होते थे, उनमें जमा पैसा शहरों के विकास पर खर्च होता था, अब लैंड सर्टिफिकेट के आधार पर रिवर्स फ्लो होगा।
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
डॉ. पृथ्वीश ने कहा कि अभी तक जियोस्पेटियल डाटा पर पढ़ाई करने वाले छात्र जब निकलते थे, तो उनके लिए नौकरी का स्कोप बहुत कम होता था। क्योंकि इतनी ज्यादा शर्तें थीं कि इस क्षेत्र को विस्तार देना असंभव सा था। अब शर्तों को सरल कर इस क्षेत्र को सुगम बनाया गया है।