Wednesday, December 4, 2024

नहीं रहे फ्लाईंग सिख मिल्खा, 5 दिन पहले कोरोना से उनकी पत्नी भी चल बसी

मिल्खा जब किसी देश में तिरंगा लेकर उतरते थे, जीतते थे, तिरंगा ओढ़कर घूमते थे, तो पाकिस्तान में भी जश्न मनता था। वे संभवत: पहले ऐसे एथलीट रहे हैं, जिनकी जीत पर पाकिस्तान खुश होता था

इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। दुनिया के महान एथलीटों में एक ‘फ्लाइंग सिख’ मिल्खा सिंह (91) का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। उन्होंने रात 11:24 बजे पीजीआई चंडीगढ़ में अंतिम सांस ली। कोविड से उबरने के बाद मिल्खा घर लौट चुके थे।Flying Sikh Milkha is no more his wife also passed away from Corona 5 days ago 1

3 जून को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को बुखार होने के बाद उनका ऑक्सीजन लेवल गिर गया। इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ती गई।कोरोना संक्रमण का इलाज करा रही मिल्खा की पत्नी निर्मल कौर का भी 13 जून को निधन हो गया था।

मिल्खा की मौत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया। कुछ दिन पहले ही उनसे बात हुई थी। मुझे नहीं पता था कि यह आखिरी बातचीत होगी।’

20 नवंबर 1929 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में जन्मे मिल्खा सिंह 1947 में दंगों में खूनखराबे के बीच जान बचाकर भारत आ गए। इस दौरान माता-पिता को खो दिया। उसके बाद 1960 में वे पहली बार पाक गए। वहां उन्हें फ्लाइंग सिख की उपाधि दी गई।

Flying Sikh Milkha is no more his wife also passed away from Corona 5 days ago 3मिल्खा के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। वह देश के पहले एथलीट थे, जिन्होंने कॉमनवेल्थ खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलवाया।

उन्होंने एथियाई खेलों में चार स्वर्ण पदक जीते। हालांकि, इन स्वर्णिम जीतों से ज्यादा चर्चा उनकी रोम ओलिंपिक में पदक से चूकने की होती है।

दरअसल, 1960 में रोम जाने से दो साल पहले ही मिल्खा ने कार्डिफ राष्ट्रमंडल खेलों में वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर मेल स्पेंस को मात देकर स्वर्ण पदक जीता था। इसलिए न केवल मिल्खा सिंह, बल्कि पूरे देश को उम्मीद थी कि वे ओलिंपिक पदक जरूर जीतेंगे।

एक इंटरव्यू में मिल्खा ने कहा था कि रोम जाने से पहले मैंने दुनियाभर में 80 दौड़ों में भाग लिया था और 77 जीती थीं। पूरी दुनिया ये मान रही थी कि 400 मीटर की दौड़ मिल्खा ही जीतेगा। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। कोई भारतीय ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीतेगा। इसका इंतजार रहेगा’ लेकिन, अफसोस कि 61 साल बाद भी कोई भारतीय एथलेटिक्स में मेडल नहीं जीत पाया है।