Wednesday, December 4, 2024

यूक्रेन-रूस जंग का 5वां दिन: पुतिन-जेलेंस्की में अब तक कौन भारी, किसे हुआ अधिक नुकसान?

इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम नागरिकों को लेकर जहां यूक्रेन लगातार आंकड़े रख रहा है, वहीं रूस ने ये तो कबूला है कि उसके सैनिक भी यूक्रेन में मारे गए और घायल हुए हैं, लेकिन पुतिन सरकार की तरफ से मरने वाले सैनिकों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं किया गया।

रूस की ओर से यूक्रेन में छेड़ी गई जंग दोनों ही देशों के लिए काफी भारी साबित हो रही है। जहां रूस ने अपने करीब 1 लाख 90 हजार सैनिकों को हथियारों, टैंकों और एयरक्राफ्ट्स के साथ यूक्रेन पर हमले के लिए भेजा है, वहीं यूक्रेन भी लगातार अपने सैनिकों और नागरिकों की मदद से रूस के मंसूबों को नाकाम करने की कोशिश में है।

इस बीच दोनों देशों में युद्ध को लेकर अब तक कई आंकड़े साफ नहीं हो पाए हैं। मसलन इस युद्ध में अब तक कितनी जानें जा चुकी हैं। दोनों देशों को इस युद्ध से कितना आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है और उसे सेना पर कितना खर्च करना पड़ रहा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए सैनिकों और आम नागरिकों को लेकर जहां यूक्रेन लगातार आंकड़े रख रहा है, वहीं रूस ने ये तो कबूला है कि उसके सैनिक भी यूक्रेन में मारे गए और घायल हुए हैं, लेकिन पुतिन सरकार की तरफ से मरने वाले सैनिकों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं किया गया। इस बीच रूसी सैनिकों को लेकर भी यूक्रेन की तरफ से दावे किए गए हैं।

क्या है यूक्रेन की तरफ से सैनिकों की मौत के दावे?

यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से जो आंकड़े जारी किए गए हैं। उसके मुताबिक, उसके कुल 352 नागरिक मारे जा चुके हैं और 1684 घायल हैं।

यूक्रेन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इनमें कितने सैनिक और कितने आम नागरिक शामिल हैं। हालांकि, यह जरूर बताया गया है कि मरने वालों में 14 बच्चे और घायलों में कुल 116 बच्चे शामिल हैं।

यूक्रेन के इन दावों पर यूएन की तरफ से भी बयान जारी हुआ है। शनिवार रात संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि उसने यूक्रेन के 240 लोगों के युद्ध में हताहत होने की पुष्टि की है। इनमें से कम से कम 64 लोग मारे गए हैं। यूएन ने यह भी कहा कि मौतों और घायलों की संख्या इससे कई गुना ज्यादा भी हो सकती है।

रूस के सैनिकों को मारने के दावे क्या?

मॉस्को की तरफ से यूक्रेन में सैनिकों के मरने का कोई आंकड़ा नहीं रखा गया है। लेकिन क्रेमलिन की तरफ से कहा गया है कि उसके सैनिकों की मौत की संख्या यूक्रेन के मुकाबले काफी कम है।

दूसरी तरफ यूक्रेन के ही रक्षा मंत्री ने बताया है कि अब तक उसके साथ युद्ध में 5300 रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। अमर उजाला इन दोनों ही देशों की ओर से दिए गए आंकड़ों की पुष्टि नहीं कर सका है।

दोनों देशों को हथियार-रक्षा सामग्री में कितना नुकसान?

रूस और यूक्रेन दोनों ही एक-दूसरे की सेनाओं को हुए जबरदस्त नुकसान को गिनाने में जुटे हैं। लेकिन दोनों ने ही अपने नुकसान को लेकर कुछ नहीं कहा है।

यूक्रेन ने सोमवार को दावा किया कि 24 फरवरी से 28 फरवरी तक चार दिन में रूस को 191 टैंकों, 816 बख्तरबंद गाड़ियों, 60 ईंधन टैंकों, एक बुक सिस्टम (एयर डिफेंस), चार ग्रैड सिस्टम (रॉकेट लॉन्चर), 29 फाइटर जेट्स, 26 हेलिकॉप्टर, दो शिप-बोट, 74 तोपें, सैनिकों को लाने-ले जाने वाले 291 वाहन और 5300 से ज्यादा वेयरहाउस गंवाने पड़े हैं।

उधर रूस ने भी यूक्रेन के नुकसानों को गिनाते हुए कहा है कि उसने यूक्रेन के 1114 सैन्य लक्ष्यों को तबाह कर दिया है। रूस के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, रूसी सैनिकों ने एस-300 से लेकर बुक एम-1 (एयर डिफेंस) सिस्टम और बेराक्तर ड्रोन्स को निशाना बनाया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इगोर कोनाशेंकोव ने इसका ब्योरा देते हुए कहा कि पिछले चार दिन में उनकी सेना ने यूक्रेन के 31 कमांड पोस्ट और संचार केंद्रों के अलावा 38 एस-300 और बुक एम-1 सिस्टमों के अलावा ओसा एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टमों को तबाह किया है। इसके अलावा 56 रडार सिस्टम भी निशाने पर आए हैं।

उन्होंने कहा कि 24 से 27 फरवरी तक रूस ने यूक्रेन के 314 टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा 31 एयरक्राफ्ट (फाइटर जेट्स और हेलिकॉप्टर) भी तबाह किए गए। 57 मल्टिपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम, 121 फील्ड आर्टिलरी गन और मोर्टार और 274 विशेष सैन्य वाहनों भी रूसी सेना के निशाने पर आए हैं।

रूस की आर्थिक स्थिति पर क्या असर?

रूस की ओर से छेड़े गए इस युद्ध का असर दोनों ही देशों पर पड़ने की संभावना है। जहां पहले ही रूस-यूक्रेन कोरोनावायरस की वजह से बड़े नुकसान झेल चुके हैं।

वहीं, अब युद्ध का नुकसान भी दोनों देशों को उठाना पड़ेगा। जर्मनी के कील इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों की तरफ से लगाया गया हर एक प्रतिबंध रूस के लिए कांटे की तरह है।

इसमें कहा गया है कि अगर यूरोप, ब्रिटेन और अमेरिका रूस पर तेल और गैस से जुड़े प्रतिबंधों का एलान करते हैं, तो उसकी 120 लाख करोड़ रुपये (1600 अरब डॉलर) की अर्थव्यवस्था, जो कि मुख्य तौर पर तेल-गैस के निर्यात पर निर्भर है, वह एक बार में 4.1 फीसदी तक गिर जाएगी।

वहीं, अब तक लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से रूस का बाकी सामान का निर्यात बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है, जिससे रूस को लगातार नुकसान उठाने पड़ रहे हैं।

पश्चिमी देशों की तरफ से मशीनरी और उपकरणों पर प्रतिबंधों की वजह से रूस को अर्थव्यवस्था में 0.5 फीसदी, मोटर वाहन और पार्ट्स में प्रतिबंधों की वजह से 0.3 फीसदी और इलेक्ट्रिक उपकरणों पर प्रतिबंध के चलते 0.1 फीसदी जीडीपी का नुकसान उठाना पड़ेगा।

इसके अलावा करीब एक दर्जन अन्य क्षेत्रों पर यूरोपीय देशों के प्रतिबंध से रूस की अर्थव्यवस्था के पूरी तरह तबाह होने की संभावना है।

चौंकाने वाली बात यह है कि अगर रूस इस बीच बाकी देशों की तेल-गैस सप्लाई बंद करने की धमकी देता है, तो भी इससे पुतिन सरकार का नुकसान ही ज्यादा है, क्योंकि इन हालात में रूस के पास विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से घटता जाएगा।

यूक्रेन पर कैसे पड़ेगा प्रभाव?

रूस की ओर से शुरू किए गए युद्ध का जितना असर रूस की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, उससे कहीं ज्यादा प्रभाव यूक्रेन पर पड़ने के आसार हैं। दरअसल, यूक्रेन की अर्थव्यवस्था रूस से 10 गुना छोटी है।

फिलहाल इस देश की जीडीपी 13.5 लाख करोड़ रुपये (180 अरब डॉलर) आंकी जाती है और यह ज्यादातर आयात पर आधारित है। यूक्रेन को युद्ध शुरू होने से पहले ही काफी नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि बड़ी संख्या में नागरिक देश छोड़कर जा चुके हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने खुद एलान किया था कि रूस से तनाव के बीच यूक्रेन के लोग 95 हजार करोड़ (करीब 12.5 अरब डॉलर) निकाल कर देश से बाहर जा चुके हैं। यानी फिलहाल युद्ध से यूक्रेन की स्थिति बिगड़ती नजर आ रही है।

नुकसानों के बीच कितने दिन जारी रह सकता है रूस का हमला?

यूक्रेन के खुफिया सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के आधार पर एस्तोनिया के पूर्व रक्षा प्रमुख रिहो टेरस ने कहा कि इस युद्ध से रूस को रोज 1500 करोड़ यूरो (लगभग 1508 अरब 72 करोड़ 49 लाख 96 हजार रुपये) खर्च करने पड़ रहे हैं।

उन्होंने यह भी दावा किया है कि पुतिन का युद्ध योजना के अनुसार नहीं चल रहा है, क्योंकि रूस की पूंजी और हथियार तेजी से खत्म हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन ने 10 और दिनों तक कीव को रूस से बचाए रखा तो पुतिन को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ वार्ता के लिए विवश होना पड़ेगा।