Thursday, December 12, 2024

बुराड़ी कांडः  पुलिस पाइल में यूं दफन हुआ एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत का राज !

इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। दिल्ली पुलिस ने बुराड़ी कांड की गुत्थी सुलझा ली है। यह कांड एक बड़ी चुनौती थी।  एक ऐसा मामला जिसमें हर तर्क समझ से परे था। इसमें काला जादू से लेकर टोने-टोटके तक के रहस्य छुपे थे।

Burari case The secret of the death of 11 people of the same family buried in the police pile 1खबरों के मुताबिक दिल्‍ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले को अब बंद कर दिया है। पुलिस ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि किसी तरह की गड़बड़ी के सबूत नहीं मिले हैं।

पुलिस ने हत्‍या का केस दर्ज किया था, मगर तीन साल तक लंबी जांच के बाद निष्‍कर्ष निकाला कि यह ‘सामूहिक आत्महत्या’ का केस था। पुलिस ने 11 जून को अदालत में क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। अदालत नवंबर में अगली सुनवाई में मामले को देखेगी।

बता दें कि एक जुलाई 2018 की सुबह एक परिवार के 11 सदस्‍यों के शव बरामद किए गए थे। नारायण देवी का शव फर्श पर मिला, जबकि बाकी सबके शव एक लोहे की ग्रिल से लटके मिले थे। उनकी आंखों पर पट्टी थी और हाथ-पैर भी बंधे हुए थे।

देवी के अलावा मृतकों में उनके बेटे भवनेश चुंडावत और ललित चुंडावत, बेटी प्रतिभा, भवनेश की बीवी सविता और उनके बच्‍चे नीतू, मोनू और ध्रुव; ललित की पत्‍नी टीना और बेटा शिवम तथा प्रतिभा की बेटी प्रियंका शामिल थे।

Burari case The secret of the death of 11 people of the same family buried in the police pile 2पुलिस को घर के भीतर से डायरी मिली, जिसमें वह पूरी प्रक्रिया लिखी हुई थी। जिसके तहत परिवार को फांसी लगानी थी। डायरी में जो कुछ लिखा था, पुलिस को उसी हालात में शव मिले।

अगस्‍त 2019 में, हैंडराइटिंग एनालिसिस ने साबित कर दिया कि डायरी में घरवालों ने ही लिखा था। कई और सबूतों ने यही जाहिर किया कि मौत एक ‘सामूहिक आत्महत्या’ की वजह से थी।

खबरों के मुताबिक, ‘परिवार के लोगों ने मोबाइल फोन साइलेंट कर दिए और फिर एक बैग में भरकर घर के मंदिर में रख दिए। डायरी की एंट्रियों और उनकी फांसी के तरीकों से भी यही लगा कि वे कोई अनुष्‍ठान कर रहे थे।

हैंडराइटिंग एनालिसिस से पता चला कि ज्‍यादातर एंट्रीज प्रियंका और ललित की थीं। सीसीटीवी फुटेज में घटना के दिन घरवालों के अलावा किसी और को आते-जाते नहीं देखा गया।’

साइकोलॉजिकल अटॉप्‍सी से खुलासा हुआ कि इन 11 लोगों ने मौत के इरादे से ऐसा नहीं किया था। अनुष्‍ठान पूरा होने पर वह सामान्‍य जिंदगी में लौटने की उम्‍मीद जताई थी। विसरा रिपोर्ट में जहर की आशंका निर्मूल साबित हुई।

डायरी से लगता है कि ललित को इस बात का पूरा यकीन था कि 2007 में गुजर चुके उसके पिता भोपाल सिंह उससे बात कर रहे थे और कुछ अनुष्‍ठान करने को कह रहे थे, जिससे पूरे परिवार को फायदा होगा।

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