
“राजगीर, बिहार में 16 सितम्बर को बच्ची के साथ हुए जघन्य गैंगरेप मामले में आपराधिक लापरवाही बरतने और पीड़िता को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिये नालंदा के जिन पुलिस अधिकारियों को दंडित करना चाहिये था, उनको सोनपुर मेले में सम्मानित किया गया है………”
इंडिया न्यूज रिपोर्टर डेस्क। वेशक बिहार में उल्टी गंगा बह रही है। सीएम नीतीश कुमार के सुशासन में बढ़ते अपराध और बलात्कार व छेड़छाड़ की घटनाओं के बीच पुलिस अधिकारी सम्मानित हो रहे हैं।
बीते 17 नवंबर 2019 को सोनपुर मेले में बिहार पुलिस के कई अधिकारियों को सम्मानित किया गया है, उनमें नालंदा जिले के पुलिस अधीक्षक निलेश कुमार, राजगीर पुलिस उपाधीक्षक सोमनाथ प्रसाद, राजगीर पुलिस निरीक्षक संतोष कुमार आदि शामिल हैं।
इन पुलिसकर्मियों को राजगीर में 16 सितम्बर 2019 को नाबालिग लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार केस में त्वरित कार्रवाई के लिए सम्मानित किया जा रहा है।
गौरतलब है कि 16 सितम्बर 2019 को अपने पुरुष मित्र के साथ घूमने गयी नाबालिग लड़की के साथ राजगीर की पहाड़ियों पर सामूहिक बलात्कार हुआ और इस घृणित कृत्य का वीडियो भी वायरल किया गया।
जब वायरल वीडियो की खबर जिले में और लोगों का भारी विरोध प्रदर्शन हुआ तो दवाब में आकर राजगीर पुलिस ने यह केस दर्ज किया था और त्वरित कार्यवाही शुरू की थी।
राजगीर में उन पहाड़ियों पर ऐसी कई घटनाएँ होने की बात स्थानीय लोग करते हैं, लेकिन जिन पुलिसकर्मियों को इसके लिए जिम्मेवार तय करते हुए दण्डित करना था, वो सम्मानित किए गए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता नीरज बताते हैं कि घटना प्रकाश में आने के बाद पुलिस निरीक्षक संतोष कुमार ने उस लड़की के साथ दुर्व्यवहार किया और उसका मजाक उड़ाया। उसे कहा कि, ‘तुम पहाडी पर गयी क्यों और ठहाके लगाए।
वहां के सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा स्थानीय लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस एक्टिव हुई। हालांकि अभी भी ऐसी कई घटनाओं को पुलिस दबा रही है। यदि वह चाहे तो वे मामले सामने आ सकते हैं।
नीरज ने कहा कि संतोष कुमार पर उनके अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की और अब सरकार उन्हें जिम्मेवार मानकर दण्डित करने की जगह सम्मानित कर रही है।
उधर भारतीय रंगमंच के मशहुर कर्मी-समीक्षक प्रकाश चन्द्र ने भी अपने फेसबुक बाल पर लिखा है कि राजगीर, बिहार में 16 सितम्बर को बच्ची के साथ हुए जघन्य गैंगरेप मामले में आपराधिक लापरवाही बरतने और पीड़िता को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिये नालंदा के जिन पुलिस अधिकारियों को दंडित करना चाहिये था, उनको सोनपुर मेले में सम्मानित किया गया है।

ग़ौरतलब है कि दिन दहाड़े बलात्कार की इतनी बड़ी यह घटना पुलिस प्रशासन के नाकारेपन को ही दर्शाने वाली थी। घटना के बाद भी पुलिस ने तब तक केस दर्ज़ नहीं किया, जब तक स्थानीय नागरिकों ने आन्दोलन नहीं किया।
आरोपियों को गिरफ़्तार करने के बाद भी लम्बे समय तक पुलिस ने न उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करना ज़रूरी समझा, और न ही सबूतों और साक्ष्यों को जांच के लिये लैब में भेजा।
पुलिस के ढीले रवैये को देखते हुए ही पहले 13 अक्टूबर को नालंदा में स्थानीय लोगों ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन आयोजित किया और फिर 18 अक्टूबर को पटना में विशाल प्रदर्शन हुआ, जिस पर पुलिस ने भारी लाठीचार्ज भी किया था।
इस लाठीचार्ज में कई प्रदर्शनकारी घायल हुए थे, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। विरोध को कुचलने और आरोपियों को बचाने की इन कार्रवाइयों की प्रतिक्रिया में ही विगत 25 अक्टूबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक बड़ी जनसभा हुई थी, जिसमें यह मांग की गयी थी कि आरोपियों की स्पीडी ट्रायल कर उन्हें कड़ी सज़ा दी जाये, पीड़िता को 50 लाख की सहायता राशि दी जाये और स्थानीय थानेदार को तुरन्त बर्ख़ास्त किया जाए।
राजगीर पुलिस ने सम्मानित होने ठीक दो दिन पहले आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर किया है। मुजफ्फरपुर के बालिका गृह बलात्कार मामले से लेकर राजगीर गैंगरेप मामले तक नीतीश कुमार और उनके पुलिस प्रशासन की अक्षमता जगज़ाहिर हो चुकी है।
इससे शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि नीतीश कुमार अब तक पीड़िता से मिले तक नहीं, पर उन्होंने इस घटना के लिये ज़िम्मेदार पुलिस वालों को सम्मानित कर यह दिखाने की कोशिश की है कि वे बिहार की बच्चियों और महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को महत्व नहीं देना चाहते, बल्कि अपने जंगलराज को बिहार के लिये सही साबित करना चाहते हैं। (कंटेंट इनपुटः सोशल मीडिया)