
उच्चतम न्यायालय ने 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या के लिए प्रतिबंधित लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के सदस्यों मुरूगन, संथान, पेरारिवलन और नलिनी को श्रीपेरंबूदूर में मौत की सजा सुनाई था।राष्ट्रपति भवन के एक प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति ने पिछले सप्ताह इन तीनों आरोपियों की दया याचिका को खारिज कर दिया है।उच्चतम न्यायालय ने मुरूगन, संथान और पेरारिवलन की मौत की सजा की पुष्टि कर दी और नलिनी की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।इन तीनों पर आपराधिक साजिश रचने और आत्मघाती हमले की साजिश को अंजाम देने का आरोप है। इन तीनों ने उच्चतम न्यायालय की पुष्टि के बाद राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की थी।गृह मंत्रालय ने 21 जून 2005 को अपनी राय भेजी थी जिसे 23 फरवरी 2011 को समीक्षा के लिए भेजा गया और मंत्रालय ने अपनी राय इस वर्ष आठ मार्च को फिर से राष्ट्रपति को सौंप दिया।इससे पहले राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय की सिफारिश पर पंजाब के देविंदर पाल सिंह भुल्लर और असम के महेंद्र नाथ की दया याचिका को खारिज कर दिया था।